Thursday, June 7, 2007

doston ki mohabbat

mere yaaron ,
yeh blog main is liye likh rahaa hoon ki aaap sab ko dosti ki keemat pata chal jaye .


मैने पीना कब सीखा था?मैने जीना कब सीखा था?एक बोतल जो टूट गयी,तो महफ़िल सारी रूठ गयी॥ये दुनिया एक महफ़िल हैऔर हम इसके मेहमाँ हैं,हैं कुछ साक़ी और कुछ आशिक़उम्मीदें हैं ,कुछ अरमाँ हैं॥आज अगर कुछ शब्द बहे,तो आखिर दिल से कौन कहे,प्यार वफ़ा कसमें और वादेअब इनकी पीड़ा कौन सहे?पीड़ा को इतिहास बता करपीना मैने अब सीखा है।शायद लोग और कुछ कह देंपर जीना मैने अब सीखा है॥



sab kuch apne doston par kurbaan kar do ..

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